आरती कीजै हनुमान लला की , दुष्टदलन रघुनाथ कला की |
जाके बल से गिरिवर कांपै , रोगदोष भये निकट न झांके |
अन्जनी पुत्र महा बलदाई , संतन के प्रभु सदा सहाई |
दे बीणा रघुनाथ पठाए , लंका जारि सिया सुधि लाये |
लंका सो कोटि समुद्र सी खाई , जात पवनसुत वार न लाई|
लंका जारि असुर सब मारे , सियारामजी के काज सँवारे |
लक्ष्मण मुर्छित परे सकारे , आनि संजीवन प्राण उवारे |
पैठी पाताल तोरी यम्कारे , अहिरावन की भुजा उखारे |
बाए भुजा सुब असुरदल मारे , दाहिने भुजा संतजन तारे |
सुर नर मुनिजन आरती उतारे , जय जय जय हनुमानजी उचारे |
कंचन थार कपूर लौ छाई , आरती करत अंजनी माई|
जो हनुमानजी की आरती गावै , सो वैकुण्ठ अमरपद पावै |
लंका विध्वंस किये रघ्रही , तुलसीदास प्रभु कीर्ति गाही |
Thursday, April 29, 2010
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I have tried to put all valid information here but there me some chances of error. If you find something which is not correct or misunderstood thanks to leave a comment.
I would correct the same as soon as possible.