Thursday, April 29, 2010

श्री हनुमान चालीसा

दोहा
श्री गुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि |
बरनउँ रघुवर विमल जसु जो दायक फल चारि ||
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार  |
बल बुधि विद्या देहूँ मोंहि हरहुँ कलेश विकार ||
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर |
जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ||
राम दूत अतुलित बल धामा |
अन्जनी पुत्र पवन सूत नामा||

महाबीर बिक्रम बजरंगी|
कुमति निवारि सुमति के संगी||
कंचन बरन बिराज सुबेसा|
कानन कुंडल कुंचित केसा||

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे |
काँधे मूँज जनेऊ साजे||
संकर सुवन केसरी नंदन|
तेज प्रताप महा जग बंदन||

विद्यावान गुनी अति चातुर |
राम काज करिबे को आतुर||
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |
राम लखन सीता मन बसिया||

सुक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा|
बिकट रूप धरि लंक जरावा||
भीम रूप धरि असुर संघारे|
राम चन्द्र जी के काज संवारे||

ले संजीवन लखन जियाये|
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये||
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई|
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई||

सहस बदन तुम्हारौ जस गावैं |
अस कही श्रीपति कंठ लगावैं||
सनकादिक ब्रम्हादी मुनीसा|
नारद सारद सहित अहीसा||

जम कुबेर दिगपाल जन्हाँ ते|
कबी कोबिद कही सके कंहाँ ते||
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा|
राम मिले राज पद दीन्हा||

तुम्हारौ मंत्र बिभीसन माना|
लंकेस्वर भये सब जग जाना||
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु|
लीलेहूँ ताहीं मधुर फल जानू||

प्रभु मुद्रिका मेली मुख माहीं |
जलधि नाघिं गई अचरज नाहीं||
दुर्गम काज जगत के जेते|
सुगम अनुग्रह तुम्हारे तेते||

राम दुवारे तुम रखवारे|
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे||
सब सुख लहै तुम्हारी सरना |
तुम रछक कहू को डर ना||

आपन तेज सम्हारो आपै |
तीनों लोक हांकते कापै||
भूत पिशाच निकट नहीं आवै|
महाबीर जब नाम सुनावै||

नासै रोग हरै सब पीरा|
जपत निरंतर हनुमत बीरा||
संकट से हनुमान छोडावै |
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै||

सब पर राम तपस्वी रजा|
तिनके काज सकल तुम साजा||
और मनोरथ जो कोई लावै|
सोई अमित जीवन फल पावै||

चारो जुग परताप तुम्हारा|
है परसिध जगत उजियारा|
साधू संत के तुम रखवारे|
असुर निकंदन राम दुलारे||

असता सिद्धि नव निधि के दाता |
अस वर दीन जानकी माता||
राम रसायान तुम्हरे पासा|
सदा रहो रघुपती के दासा||

तुम्हारे भजन राम को पावै|
जन्म जन्म के दुःख बिसरावें||
अंत काल रघुवर जाई|
जन्हा जन्म हरि भक्त कहाई||

और देवता चित्त ना धरई |
हनुमत सेई सर्व सुख करई||
संकट कटै  मिटै सब पीरा|
जो सुमिरै हनुमत बालबीरा||

जै जै जै हनुमान गोसाई|
कृपा करहु गुरु देव की नाई ||
जो सैट बार पाठ कर कोई|
छुटहि बंदि  महा सुख होई||

जो यह पढे हनुमान चालीसा|
होय सिद्धि साखी गौरीसा||
तुलसीदास सदा हरि चेरा |
कीजै नाथ ह्रदय मँह  डेरा||

दोहा
पवनतनय संकट हरन मंगल मूर्ति रूप|
राम लखन सस्ता सहित ह्रदय बसहु सुर भूप||

जयकारा
बोल सिया बार रामचंद्र जी की जै
उमापति महादेव की जै
पवनसुत हनुमान की जै

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